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गुजरात में शादी पंजीकरण कानून बदलने की तैयारी: भागकर शादी करने वाले जोड़ों के लिए माता-पिता को सूचना अनिवार्य करने का प्रस्ताव

  • Writer: Sonu Yadav
    Sonu Yadav
  • 21 hours ago
  • 3 min read
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गुजरात सरकार एक बार फिर सामाजिक और कानूनी बहस के केंद्र में आ गई है। राज्य सरकार भागकर शादी करने वाले जोड़ों को लेकर विवाह पंजीकरण कानून में बड़े बदलाव करने की तैयारी कर रही है। प्रस्तावित संशोधन के अनुसार, अब शादी का पंजीकरण कराते समय माता-पिता या अभिभावकों को सूचना देना अनिवार्य किया जाएगा। इस प्रस्ताव को आज होने वाली राज्य कैबिनेट की अहम बैठक में पेश किया जा सकता है।


अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो यह न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश में विवाह पंजीकरण प्रक्रिया से जुड़ा सबसे सख्त कदम माना जाएगा। इस फैसले के दूरगामी सामाजिक, कानूनी और राजनीतिक प्रभाव पड़ने की संभावना है।


सरकार को यह कदम उठाने की जरूरत क्यों पड़ी?


राज्य सरकार के अधिकारियों का कहना है कि बीते कुछ वर्षों में गुजरात में:


  • भागकर शादी के मामलों में तेज़ी से इजाफा हुआ है

  • कई मामलों में नाबालिग लड़कियों को बहला-फुसलाकर शादी कर ली गई

  • शादी के बाद परिवारों और समाज में तनाव, हिंसा और कानूनी विवाद बढ़े

  • कुछ मामलों में फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए शादी पंजीकरण कराया गया


सरकार का मानना है कि माता-पिता को सूचना देना अनिवार्य करने से ऐसे मामलों पर प्रभावी रोक लगाई जा सकेगी।


मौजूदा विवाह पंजीकरण कानून क्या कहता है?


फिलहाल गुजरात में शादी पंजीकरण के लिए:


  • वर और वधू का बालिग होना

  • दोनों की स्वेच्छा से सहमति

  • पहचान पत्र, उम्र प्रमाण और विवाह का सबूत


ही पर्याप्त होता है।माता-पिता की अनुमति या सूचना की कोई बाध्यता नहीं है, खासकर तब जब दोनों बालिग हों।


यही कारण है कि भागकर शादी करने वाले जोड़े भी आसानी से पंजीकरण करा लेते हैं।

नए प्रस्तावित नियमों में क्या-क्या बदलेगा?


सूत्रों के मुताबिक, सरकार जिन बदलावों पर विचार कर रही है, उनमें शामिल हैं:


  • शादी पंजीकरण आवेदन के समय माता-पिता को औपचारिक सूचना देना अनिवार्य

  • माता-पिता या अभिभावकों के नाम, पता और संपर्क विवरण दर्ज करना

  • सूचना भेजने का लिखित प्रमाण देना

  • संदेह की स्थिति में अधिक जांच का अधिकार अधिकारियों को देना

  • नाबालिग या जबरन शादी की आशंका होने पर पंजीकरण रोकने की व्यवस्था


सरकार का दावा है कि यह बदलाव लव मैरिज के खिलाफ नहीं, बल्कि कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए है।


क्या यह फैसला संवैधानिक अधिकारों से टकराता है?


इस प्रस्ताव के सामने आते ही संवैधानिक और कानूनी बहस तेज हो गई है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि:


  • सुप्रीम कोर्ट कई फैसलों में कह चुका है किदो बालिगों को अपनी मर्जी से शादी करने का पूरा अधिकार है

  • माता-पिता को सूचना अनिवार्य करनानिजता के अधिकार (Right to Privacy) का उल्लंघन हो सकता है

  • यह नियम अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाह करने वालों के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह नियम लागू होता है, तो इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।


सामाजिक संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की चिंता

कई सामाजिक संगठनों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है। उनका कहना है:


  • कई जोड़े सम्मान के नाम पर हिंसा (Honor Killing) के डर से भागकर शादी करते हैं

  • माता-पिता को सूचना देने से ऐसे जोड़ों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है

  • खासकर महिलाओं की स्वतंत्रता और निर्णय लेने के अधिकार पर असर पड़ेगा

  • समाज के दबाव में आकर कई परिवार जोड़ों को परेशान कर सकते हैं


उनका तर्क है कि कानून को सुरक्षा और स्वतंत्रता के बीच संतुलन बनाकर चलना चाहिए।

सरकार का पक्ष: “यह नियंत्रण नहीं, सुरक्षा है”


सरकार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि:


  • यह नियम माता-पिता की अनुमति नहीं, सिर्फ सूचना देने तक सीमित रहेगा

  • इसका उद्देश्य किसी की आज़ादी छीनना नहीं

  • बल्कि नाबालिग विवाह, मानव तस्करी और धोखाधड़ी रोकना है

  • पारिवारिक संवाद बढ़ेगा और सामाजिक विवाद कम होंगे


सरकार का दावा है कि अंतिम ड्राफ्ट में संवेदनशीलता का पूरा ध्यान रखा जाएगा।

क्या यह फैसला देश के अन्य राज्यों को भी प्रभावित करेगा?


विशेषज्ञों का मानना है कि अगर गुजरात में यह नियम लागू होता है, तो:


  • अन्य राज्य भी ऐसे कानूनों पर विचार कर सकते हैं

  • देशभर में लव मैरिज और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर नई बहस शुरू होगी

  • सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने की संभावना बढ़ेगी


यह फैसला आने वाले समय में राष्ट्रीय स्तर पर मिसाल बन सकता है।

आगे की प्रक्रिया क्या होगी?


  1. कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव पेश

  2. मंजूरी मिलने पर ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी

  3. जनता और विशेषज्ञों से सुझाव

  4. अंतिम अधिसूचना जारी

  5. राज्यभर में नियम लागू


गुजरात सरकार का यह प्रस्ताव एक तरफ सामाजिक सुरक्षा और कानूनी नियंत्रण की मंशा से जुड़ा है, वहीं दूसरी ओर यह व्यक्तिगत आज़ादी, निजता और संवैधानिक अधिकारों पर गंभीर सवाल खड़े करता है।


अब यह देखना अहम होगा कि सरकार इस कानून को किस रूप में लागू करती है और क्या इसमें उन जोड़ों की सुरक्षा का पर्याप्त प्रावधान किया जाता है, जो समाज के दबाव से बचने के लिए भागकर शादी करते हैं।

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