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वंदे मातरम् देशभक्ति का संकल्प है, सिर्फ नारा नहीं: संसद में गूंजे पीएम मोदी के तेजस्वी शब्द

  • Writer: Lucky Kumar
    Lucky Kumar
  • 10 hours ago
  • 2 min read

संसद का माहौल आज उस समय और भी अधिक ऊर्जावान हो उठा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन के दौरान ‘वंदे मातरम्’ की वास्तविक आत्मा को बेहद प्रभावशाली शब्दों में प्रस्तुत किया।


उन्होंने कहा— “वंदे मातरम् सिर्फ एक नारा नहीं… यह देशप्रेम का बलिदान है, यह वीरों के अभिमान का स्वर है।” प्रधानमंत्री के इन दृढ़, आत्मविश्वासी और भावपूर्ण शब्दों ने न केवल सदन को, बल्कि पूरे देश को एक क्षण के लिए राष्ट्रभाव की ज्वाला से भर दिया।


पीएम मोदी ने याद दिलाया कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम सिर्फ हथियारों की लड़ाई नहीं था, वह भावनाओं और प्रेरणाओं की भी लड़ाई थी। उस दौर में ‘वंदे मातरम्’ सिर्फ एक उद्घोष नहीं, बल्कि ऐसा मंत्र था, जिसने countless स्वतंत्रता सेनानियों को हिम्मत, साहस और राष्ट्र के प्रति अटूट निष्ठा से भर दिया। यह गीत उन युवाओं की नसों में दौड़ता था, जो मातृभूमि पर जान न्यौछावर करने के लिए तैयार रहते थे।


अपने वक्तव्य में प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि “वंदे मातरम्” आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना स्वतंत्रता के समय था। यह मातृभूमि के प्रति सम्मान, त्याग और समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि बदलते समय के साथ मूल्य और शब्दों की व्याख्या भले ही बदल जाए, लेकिन इस राष्ट्रगान की भावनात्मक शक्ति आज भी भारतीय मन को उसी दृढ़ता से झकझोरती है।


प्रधानमंत्री के भाषण के बाद सदन में एक विशेष वातावरण बन गया—एक ऐसा माहौल, जो क्षणभर के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर राष्ट्रभक्ति की भावना से भर गया। सांसदों के चेहरों पर जो गहराई और गंभीरता दिखी, उसने इस बात को स्पष्ट किया कि ‘वंदे मातरम्’ सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य की ऊर्जा भी है।


पीएम मोदी के इस बयान ने सोशल मीडिया पर भी तेजी से जगह बनाई। कुछ ही मिनटों में यह भाषण ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर ट्रेंड करने लगा। हजारों लोग इस बात को साझा कर रहे थे कि प्रधानमंत्री ने एक बार फिर देशप्रेम की उस भावना को छुआ, जो हर भारतीय के दिल में बसी होती है।


देशभर में युवाओं ने प्रधानमंत्री के इन शब्दों को देशभक्ति की नई परिभाषा बताते हुए कहा कि यह भाषण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा। कई लोगों ने इसे “नया राष्ट्रवादी आत्मविश्वास” और “भारत की आत्मा को स्पर्श करने वाला वक्तव्य” करार दिया।


निःसंदेह, आज संसद में प्रधानमंत्री मोदी के ‘वंदे मातरम्’ पर दिए गए ये शब्द सिर्फ एक राजनीतिक संबोधन नहीं थे—वे एक भावनात्मक पुकार, एक ऐतिहासिक स्मरण और एक आधुनिक राष्ट्र की आत्मा को जागृत करने वाला संदेश थे।


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