लोकतंत्र की खूबसूरत तस्वीर: शीतकालीन सत्र के बाद संसद में चाय पर संवाद, पीएम मोदी और प्रियंका गांधी सहित सभी दलों के नेता एक साथ नजर आए
- Lucky Kumar
- 7 hours ago
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भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती उस समय देखने को मिली, जब संसद के शीतकालीन सत्र के समापन के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता एक साथ अनौपचारिक माहौल में चाय पर चर्चा करते हुए नजर आए। इस खास मौके पर लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के फ्लोर लीडर और सांसद शामिल हुए।
संसद सत्र के बाद सौहार्दपूर्ण माहौल
संसद का शीतकालीन सत्र भले ही कई बार हंगामे और तीखी बहसों का गवाह बना हो, लेकिन सत्र के बाद नेताओं का इस तरह एक साथ बैठना लोकतांत्रिक परंपराओं को मजबूत करने वाला दृश्य माना जा रहा है। चाय पर हुई इस अनौपचारिक बैठक में संसद के कामकाज, विधायी प्रक्रिया और भविष्य में सदन को और अधिक प्रभावी ढंग से चलाने जैसे विषयों पर चर्चा हुई।
स्पीकर ओम बिरला की पहल
इस बैठक की पहल लोकसभा स्पीकर ओम बिरला की ओर से की गई थी। उनका उद्देश्य संसद के भीतर सकारात्मक संवाद और सहयोग की भावना को बढ़ावा देना बताया जा रहा है। बैठक में सभी दलों के नेताओं ने खुले मन से अपने सुझाव रखे और सदन की कार्यवाही को सुचारु रूप से संचालित करने पर विचार-विमर्श किया।
पीएम मोदी और प्रियंका गांधी की मौजूदगी रही खास
इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की मौजूदगी विशेष रूप से चर्चा का विषय रही। राजनीतिक मतभेदों के बावजूद दोनों नेताओं को एक ही मंच पर सौहार्दपूर्ण बातचीत करते देखना कई लोगों के लिए लोकतंत्र की परिपक्वता का प्रतीक माना गया। यह दृश्य यह संदेश देता है कि विचारधाराओं में अंतर होने के बावजूद संवाद और सम्मान लोकतंत्र की बुनियाद है।
सांसदों और फ्लोर लीडर्स ने रखे सुझाव
बैठक के दौरान विभिन्न दलों के फ्लोर लीडर्स और सांसदों ने संसद सत्र के दौरान सामने आई चुनौतियों पर चर्चा की। कई नेताओं ने सदन में अधिक रचनात्मक बहस, प्रश्नकाल की प्रभावशीलता और विपक्ष के मुद्दों को बेहतर तरीके से रखने पर जोर दिया। साथ ही, यह भी सहमति बनी कि संसद की गरिमा बनाए रखना सभी सांसदों की सामूहिक जिम्मेदारी है।
लोकतंत्र में संवाद की अहमियत
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस तरह की अनौपचारिक बैठकों से राजनीतिक तनाव कम होता है और सहयोग का माहौल बनता है। संसद केवल बहस और विरोध का मंच नहीं, बल्कि संवाद और सहमति के जरिए देश के हित में फैसले लेने की जगह है। चाय पर हुई यह चर्चा उसी भावना को दर्शाती है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें
इस मुलाकात की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। लोग इसे ‘लोकतंत्र की खूबसूरत तस्वीर’ बता रहे हैं। कई यूजर्स ने नेताओं के इस अंदाज की सराहना करते हुए कहा कि मतभेदों के बावजूद साथ बैठकर बातचीत करना ही सशक्त लोकतंत्र की पहचान है।
भविष्य के लिए सकारात्मक संकेत
विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के संवाद भविष्य में संसद की कार्यवाही को अधिक सहज और प्रभावी बना सकते हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संवाद बना रहना लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए बेहद जरूरी है।
शीतकालीन सत्र के बाद संसद परिसर में दिखी यह तस्वीर भारतीय लोकतंत्र की उसी भावना को दर्शाती है, जहां मतभेदों के बावजूद संवाद, सम्मान और सहयोग की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है।



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