दिल्ली में दिसंबर 2025 की हवा बनी बीते आठ वर्षों में सबसे ज़हरीली, AQI ने तोड़े सारे रिकॉर्ड
- Lucky Kumar
- 2 hours ago
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राजधानी दिल्ली में इस साल दिसंबर का महीना वायु प्रदूषण के लिहाज़ से बेहद खतरनाक साबित हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2025 के पहले 18 दिनों का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बीते आठ वर्षों में सबसे अधिक दर्ज किया गया है। यह आंकड़े हर दिन शाम 4 बजे जारी होने वाले 24 घंटे के औसत AQI बुलेटिन के आधार पर किए गए विश्लेषण से सामने आए हैं।
महीने की शुरुआत से ही गंभीर बने रहे हालात
दिल्ली में दिसंबर की शुरुआत से ही वायु प्रदूषण के हालात लगातार बिगड़ते चले गए। महीने के पहले आठ दिनों तक AQI लगातार ‘बहुत खराब’ श्रेणी (301–400) में बना रहा। इस वजह से पूरे महीने का औसत AQI बढ़कर 343 तक पहुंच गया, जो अपने आप में एक गंभीर चेतावनी है।
विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दियों में तापमान गिरने, हवा की गति कम होने और पराली जलाने जैसी गतिविधियों के चलते प्रदूषक कण वातावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं, जिससे हालात और भयावह हो जाते हैं।
14 दिसंबर: जब AQI ने छुआ 461 का खतरनाक स्तर
14 दिसंबर 2025 को दिल्ली का AQI 461 दर्ज किया गया, जो पिछले आठ वर्षों में दिसंबर महीने का सबसे ऊंचा स्तर है। यह स्तर ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में आता है, जिसमें स्वस्थ व्यक्ति भी सांस लेने में तकलीफ महसूस करता है और बुजुर्गों, बच्चों व अस्थमा या हृदय रोगियों के लिए स्थिति अत्यंत जोखिमभरी हो जाती है।
डॉक्टरों के अनुसार, इस स्तर के प्रदूषण में लंबे समय तक रहना फेफड़ों, आंखों और हृदय पर गंभीर असर डाल सकता है।
GRAP-IV लागू, फिर भी राहत नहीं
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 13 दिसंबर को दिल्ली-एनसीआर में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) का सबसे सख्त चरण, यानी स्टेज-IV (GRAP-IV) लागू किया गया। इसके तहत कई कड़े प्रतिबंध लगाए गए, जिनमें शामिल हैं:
दिल्ली में सभी निर्माण और ध्वस्तीकरण कार्यों पर पूरी तरह रोक
खुले में कचरा और बायोमास जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध
दूसरे राज्यों में पंजीकृत गैर-BS VI वाहनों की दिल्ली में एंट्री पर रोक
बिना वैध पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल (PUC) सर्टिफिकेट वाले वाहनों को ईंधन न देना
सरकारी और निजी दफ्तरों में 50% कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम अनिवार्य
हालांकि, कागजों पर सख्ती के बावजूद जमीनी स्तर पर इन उपायों का प्रभाव सीमित ही नजर आया। कई इलाकों में निर्माण गतिविधियां और ट्रैफिक पहले की तरह चलते दिखे।
सवालों के घेरे में प्रशासन और क्रियान्वयन
पर्यावरण विशेषज्ञों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि हर साल GRAP लागू किया जाता है, लेकिन प्रभावी निगरानी और सख्त क्रियान्वयन की कमी के कारण हालात में ठोस सुधार नहीं हो पाता। उनका मानना है कि सिर्फ आपातकालीन उपायों से नहीं, बल्कि दीर्घकालिक नीतियों, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा, इलेक्ट्रिक वाहनों के विस्तार और पराली प्रबंधन के ठोस समाधान से ही प्रदूषण पर काबू पाया जा सकता है।
जनता की सेहत पर गहराता संकट
दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण अब सिर्फ पर्यावरण का नहीं, बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। अस्पतालों में सांस की बीमारी, आंखों में जलन, खांसी और एलर्जी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञों ने लोगों को अनावश्यक बाहर निकलने से बचने, मास्क पहनने और घरों में एयर प्यूरीफायर के इस्तेमाल की सलाह दी है।
आगे क्या?
अगर आने वाले दिनों में मौसम की स्थिति में सुधार नहीं हुआ और सख्ती से नियमों का पालन नहीं कराया गया, तो दिल्ली की हवा और भी जहरीली हो सकती है। ऐसे में सरकार, प्रशासन और आम जनता — सभी को मिलकर जिम्मेदारी निभानी होगी, तभी राजधानी को इस हर साल दोहराए जाने वाले प्रदूषण संकट से राहत मिल सकेगी।



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